कांग्रेस पार्टी की नैया उसके अपने ही लोग डुबा देंगे ?
जब पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन से शोक में डुबा हुआ था और केरल सहित देश के अधिकांश हिस्से़ बाढ़ की भयानक विभीषिका से जूझ रहे थे, तब पंजाब के उपमुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान जाकर इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर भारत के शत्रु नंबर वन पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के साथ गले मिलते दिखायी पड़ रहे थे। वहीं दूसरी ओर अटल जी का शरीर जैसे ही पंचतत्व में विलीन हुआ वैसे ही कांग्रेस पार्टी ने गुजरात चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीच जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वाले मणिशंकर अय्यर का निलंबन वापस ले लिया।
अटल जी की अंतिम यात्रा में जिस प्रकार से जनसैलाब उमड़ा, उसको देखकर कांग्रेस पार्टी निश्चय ही अंदर से बुरी तरह हिल गयी होगी। यही कारण है कि अब कांग्रेस पार्टी ने मणिशंकर अय्यर की सभी बातों को सही मानते हुए उनका निलंबन वापस करने में देरी नहीं की। एक प्रकार से कांग्रेस पार्टी ने अब गालीबाजों व देशद्रोही तत्वों के साथ मिलकर आगामी चुनावों में पीएम मोदी व बीजेपी से दो-दो हाथ करने की रणनीति बनाने लग गयी है। आज यही कांग्रेस व मणिशंकर अय्यर एक बार फिर पाकिस्तान के नये पीएम इमरान खान के साथ वार्ता का जोखिम उठाने की सलाह देने लगे हैं। सिद्धू और मणि की हरकतों तथा पाक के प्रति कांग्रेसी नेताओं के ताजा बयानों से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का पाकिस्तान के प्रति प्रेम कितना गहरा होता जा रहा है।
आज यदि देश व कांग्रेस को किसी ने सर्वाधिक शर्मसार किया है तो वह पंजाब के उपमुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू हैं। पाकिस्तान से शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए कपिल देव और सुनील गावस्कर को भी आमंत्रण मिला था और भारतीय उच्चायोग ने नयी सरकार को एक बल्ला भी भेंट किया था। तब मीडिया में यह कयास लगये जाने लगे कि क्या क्रिकेट के सहारे एक बार फिर वार्ता के दरवाजे खोलने के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन कपिल देव और सुनील गावस्कर ने एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह फैसला लिया और नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में पूरी तरह से अकेला छोड़ दिया। आज नवजोत की गलतीे से कांग्रेस पार्टी भी पूरी तरह एक्सपोज हो चुकी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों में पाकपरस्त तत्व भी बैठे है जो बीच-बीच में भारत पाक दोस्ती को लेकर झूठे और अफवाहों पर आधारित देशहित को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोपगंडा चलाते रहते हैं। ऐसे तत्वों की कांग्रेस व सेकूलर दलों के बीच सांठगांठ है।
आज नवजोत ने अपने आप को इतिहास में सबसे बड़ा महान और भगवान बुद्ध के बाद सबसे बड़ा शांति का मसीहा बनने के चक्कर में पूरे भारत का सबसे बड़ा खलनायक बना लिया है।
नवजोत की इस हरकत सें आज संपूर्ण भारत ही नहीं अपितु सिख व सिंधी समाज अपने आपको बेहद शर्मसार व आहत अनुभव कर रहा है। नवजोत इमरान की शपथ ग्रहण यात्रा में जाकर अपने आपको पूर्व प्रधाानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, नेहरू, मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री तथा वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी से भी महान बनना चाह रहे थे। लेकिन वे महान तो नहीं बन सके, लेकिन उनके पोस्टर बनाकर उन पर कालिख जरूर पोती जा रही है। सभी दल उनका विरोध कर रहे हैं।
जब चारों तरफ से कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से घिरने लगी और सोशल मीडिया में जबर्दस्त आलोचना होने लगी, तब कांग्रेस ने बहुत ही अनमने ढंग से कड़ी प्रतिक्रिया नहीं देते हुए उसकी ओर से केवल यह कहा गया कि सिद्धू का पाकिस्तान जाना गलत था। साथ ही बेहद धूर्ततापूर्वक यह भी जोड़ दिया गया कि यदि पाकिस्तान जाना देशद्रोह है, तो पीएम नरेंद्र मोदी पाकिस्तान गये और वह भी देशद्रोही हैं। इससे पता चल रहा है कि आज की तारीख में कांग्रेस पार्टी का बौद्धिक स्तर कितना गिर चुका है और उसका कितना पतन हो चुका है। सिख समाज में सिद्धू अछूत होते जा रहे हैं उनको तनखैया घोषित करने की मांग जोर-शोर से की जा रही है। जिस समय सिद्धू बाजवा के साथ गले मिल रहे थे ठीक उसी समय पाकिस्तानी सेना सीमा पर गोले बरसा रही थी। सिद्धू मुस्कारा रहे थे, गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान के साथ बैठकर ऐसे मुस्करा रहे थे, मानो उन्हें भारत औेर पाकिस्तान के बीच संबंधों की बहाली तथा शांति वार्ता को पटरी पर लाने के लिए नोबेल का शांति पुरस्कार मिल गया हो।
वहां से वापस आने पर अटारी सीमा से लौटे नवजोत ने अपनी मुस्कराती हुई जो फोटो पोस्ट की है वह देश की सेना के उन हजारों सिख नौजवानों की शहादत का घोर अपमान कर रही थीं जो विगत 70 वर्षाें से चल रहे पाकपोषित आतंकवाद में शहीद हो चुके हैं। सिख युवकों की हजारों विधवा पत्नियों के दिल में नवजोत के प्रति प्रेम तो नहीं उमड़ रहा है। आज पूरे भारत ने नवजोत को नकार दिया है तथा अपने दिलों से उतार दिया है। बाजवा से गले मिलने के बाद उनके पास अपने बचाव में कहने लायक कुछ भी नहीं है। नवजोत के अजीज दोस्त इमरान खान ने उनको उनकी हैसियत जता दी है। साथ ही इमरान खान ने अपने तेवर, संदेश और संकेत भी दे दिये हैं तथा बता दिया है कि जिन लोगों को इमरान खान के साथ वार्ता करनी है और दोस्ती करनी है उन्हें सबसे पहले बाजवा के साथ गले मिलना होगा। तब उसके बाद वह विचार करेंगे।
वैसे भी आजकल जब से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में पीएम मोदी को अचानक गले लगाया है, तब से वहां पर चिपको आंदोलन चल पड़ा है। कांग्रेस में मणिशंकर की वापसी और सिद्धू का पाकिस्तान दौरा तथा बाजवा से गले मिलना उसी चिपको आंदोलन का अगला पड़ाव लग रहा है। सिद्धू समझ रहे हैं कि उन्होंने बाजवा से गले मिलकर और करतारपुर कारिडोर खोलने की बात कहलाकर कोई बहुत बड़ा विश्व कप जीत लिया है। लेकिन ये सब हरकतें कांग्रेस व राहुल गांधी को भविष्य में बहुत भारी पड़ने वाली हैं। नवजोत ने अभी तक पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी के प्रति संवेदना नहीं प्रकट की है और न ही केरल के बाढ़ पीड़ितों के प्रति कोई संवेदना प्रकट की है। इससे अधिक असंवेदनशील कौन हो सकता है। अब समझ में आ गया है कि बीजेपी ने सिद्धू से नाता तोड़कर बहुत ही अच्छा किया था। सरकारें तो लोकतंत्र में आती-जाती रहती हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित