राखी बांधने आई हूं
मैं तेरी छोटी-सी बहिना,
राखी बांधने आई हूं,
रेशम-डोर न इसे समझना,
प्यार बांधने आई हूं.
बड़े जतन से मैंने बनाई,
भैय्या राखी प्यारी-सी,
जल्दी से राखी बंधवा लो,
कहती बहिन दुलारी-सी.
हरा-भरा हो प्यार हमारा,
देने यह पावन संदेश,
रक्षा बंधन पर्व है आता,
चाहे बहिन बसी परदेश.
राखी दिवस पर लिखी बहुत सुन्दर कविता लीला बहन . राखी दिवस की आप को ढेरों मुबारकें .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
बोयी जा सकने वाली राखी: वर्षों तक हरा-भरा रहेगा भाई-बहन का प्यार
अब बोयी जा सकने वाली राखी उपलब्ध है जिसमें बीज होते हैं। ऐसी राखियां कभी खत्म नहीं होती बल्कि समय के साथ बढ़ती, फलती-फूलती जाती हैं और एक पौधे के रूप में नया जीवन पा लेती हैं।