जमाल
तेरा हाल मिल गया है, हमें अपने हाल से,
हो जाता है बयां सब, धड़कन की ताल से।
तेरी दूरियां आंखों को, अश्कों से भीगोती हैं,
खो जाता है कहीं दिल, यादों के ख्याल से।
लहरा गई है बर्क, थरथराते लबों पे,
सिमट के रह गये हैं, अनकहे सवाल से।
अश्कों को पिरोकर यूं, सांसो की डोर में,
तस्बीह चल रही है, दिल के जमाल से।
यूं तीरगी मिटाके, रोशन किये चराग ,
दीदार-ए-रुह हो गया, उनके कमाल से।
— पुष्पा “स्वाती”