रोज़ इम्तहान है!
बड़ी ही भीड़ है, निकलना भी मुश्किल है।
गुरू कहता है कि, निकलकर बताना होगा।।
कुछ अलग कर या खुद खो जा भीड़ मे ।
आग का दरिया है, पार तो जाना होगा ।।
हर छण एक रण , हो रहा है जीवन मे ।
बहुत कुछ करके भी, और दिखाना होगा।।
यहाँ तो रोज खोज हो रही है बेहतर की।
सजाते सब है ‘हृदय’, तुझे खास बनाना होगा ।।
हृदय जौनपुरी