कविता

रोज़ इम्तहान है!

बड़ी ही भीड़ है, निकलना भी मुश्किल है।
गुरू कहता है कि, निकलकर बताना होगा।।

कुछ अलग कर या खुद खो जा भीड़ मे ।
आग का दरिया है, पार तो जाना होगा ।।

हर छण एक रण , हो रहा है जीवन मे ।
बहुत कुछ करके भी, और दिखाना होगा।।

यहाँ तो रोज खोज हो रही है बेहतर की।
सजाते सब है ‘हृदय’, तुझे खास बनाना होगा ।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से