कविता

स्वार्थ

हर व्यक्ति अपना स्वार्थ देखता है यहाँ

एक शब्द निःस्वार्थ भी होता है यहाँ

मेरा स्वार्थ कहाँ पर सिद्ध होगा

यही दिमाग बुनता रहता है यहाँ

किसी का कुछ भी हो मतलब नहीं

प्रत्येक व्यक्ति नकाब पहनता है यहाँ

जानते हुए भी अनजान बनते हैं लोग

उनको नहीं पता भाग्य बदलता है यहाँ

करते रहते हैं जिंदगी में बुरे काम

उन्हें नहीं पता भगवान रहता है यहाँ

स्वार्थ छोड़ो अच्छाई से नाता जोड़ो

रमाकान्त आज ये कहता है यहाँ

रमाकान्त पटेल

रमाकान्त पटेल

ग्राम-सुजवाँ, पोस्ट-ढुरबई तहसील- टहरौली जिला- झाँसी उ.प्र. पिन-284206 मो-09889534228