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आलस के मारे

अक्सर बच्चे टैबलेट, आइ पैड या फिर मोबाइल लिए सारा-सारा दिन निकाल लेते हैं. खाते-पीते समय भी वे इनका पीछा नहीं छोड़ते. हम कहते हैं- आलस के मारे कोई और काम तो कर नहीं सकते, सारा दिन इनके पीछे पड़े रहते हो. सोचिए जरा- क्या यह आलस है? बच्चे खाते-पीते, सोते-जगते इन गैजेट्स से न जाने क्या-क्या करते और सीखते-सिखाते रहते हैं! इसका पता तो तब चलता है, जब सामान्य ज्ञान की जानकारी पर आधारित ट्रिविरो गेम खेलने की बारी आती है. बच्चे देश-विदेश के बारे में अपनी जानकारी का बखूबी प्रदर्शन कर जाते हैं और हम ढपोलशंख अपने देश के बारे में ही दो शब्द भी नहीं बोल पाते. बोलिए तो, आलस के मारे कौन हुए?
वैसे आलस कोई बुरी चीज तो नहीं है. अजी साहब यह हम नहीं, विज्ञान महाशय कह रहे हैं. इनका कहना है-

लंबी उम्र चाहिए तो बने रहिए आलसी- विज्ञान.

एक नए शोध में बताया गया है कि अब ईवॉल्यूशन ‘सर्वाइवल ऑफ द लेजीएस्‍ट’ का फेवर कर रहा है. शोधकर्ताओं ने करीब 299 प्रजातियों की आदतों के बारे में अध्‍ययन करने के बाद यह निष्‍कर्ष निकाला है. उनका मानना है कि मेटाबॉलिज़म की रेट अधिक होने से उस प्रजाति के जीव के विलुप्‍त होने का खतरा रहता है. अब हम अपनी प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए थोड़ा-सा आलस ही कर लें, तो क्या हर्ज है?
जनाब, इसमें हर्ज-ही हर्ज है. हम जरा आलसियाने की सोच ही रहे थे, कि हमारे सामने एक और शोध आ गया-

लंबे समय तक बैठने से हो सकता है मेमरी लॉस

लंबे समय तक एक जगह पर बैठे रहने से दिमाग में रक्‍त के संचार को धीमा कर देता है. इसके परिणाम घातक हो सकते हैं. आपको सावधान कर देने वाला यह अध्ययन ऑफिस में काम करने वाले कुछ लोगों के ऊपर किया गया है. इसमें बताया गया है कि यह लंबे समय तक बैठे रहना दिमाग के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदेह होता है. लेकिन अगर आप हर आधा घंटे में उठकर दो मिनट के लिए टहल लें तो यह आपके दिमाग में रक्‍त के संचार को बढ़ाता है. अब हम मेमरी लॉस का खतरा कैसे मोल ले सकते हैं भला! हम साठ के हों-न-हों, लोग कहेंगे, ”सठिया गए हैं.” अब तो आलस छोड़कर हर आधे घंटे में चहलकदमी करनी ही पड़ेगी न!

 

आलस के बारे में में राय बनाने की जल्दी क्या है! शोधों की कमी थोड़े ही ना है? आप भी एक शोध कर डालिए, चाहे आलस पर ही सही. एक शोध आलस भगाने के लिए मुनक्के खाने की सलाह देता है. मुनक्का बॉडी में हीमोग्‍लोबिन का स्‍तर भी बढ़ाता है. मुनक्के में आयरन और विटामिन बी भरपूर मात्रा में होता है इसलिए मुनक्का शरीर की कमजोरी और एनीमिया को ठीक करता है. इसमें मौजूद आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है. यह स्वाद में मीठा और हल्का, सुपाच्य और नर्म होता है मगर इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए एक दिन में 5 से ज्यादा मुनक्का नहीं खाना चाहिए. तो मुनक्का खाइए, आलस दूर भगाइए. आलस के बारे में हम कोई राय कायम करें, इससे पहले हमारे सामने ‘वर्ल्ड लेजिनेस डे’ की खबर आ गई. चलते-चलते आप भी इसे पढ़ लीजिए-
जब एक जगह जुटे दुनियाभर के आलसी
‘वर्ल्ड लेजिनेस डे’

कोलंबिया के इतागुई शहर में लोगों ने 19 अगस्त को ‘वर्ल्ड लेजिनेस डे’ मनाया. लोग अपने गद्दे, बिस्तर लेकर सड़कों पर सोते दिखे. जिंदगी की भागदौड़ में थकना मना है…नहीं एक देश ऐसा भी है जहां एक दिन लोग थक सकते हैं और पूरा दिन बिस्तर पर आलस में डूबकर बिता सकते हैं. यह देश है कोलंबिया, जहां लोग तनाव से लड़ने के लिए हर साल ‘आलस का दिन’ मनाते हैं. आलसियों के इस दिन में कुछ प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जैसे किसका पजामा सबसे अच्छा दिख रहा है और कौन सबसे तेज बिस्तर पर पहुंचता है.

 

अंत में, कृपया आलस के बारे में कामेंट्स के जरिए अपने विचार लिखने में आलस मत कीजिएगा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “आलस के मारे

  • लीला तिवानी

    आलस बुरी चीज नहीं है, बस आलस की अति बुरी है. कोई चीज गलत जगह रखी दिखती है, तुरंत उसको सही जगह रख दीजिए, आलस भाग जाएगा, 2-4 अंगड़ाइयां ले लीजिए आलस भाग जाएगा, किसी नए काम या आइडिया के बारे में सोचिए आलस भाग जाएगा. कुछ उपाय आप भी बताइए.

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