गीतिका/ग़ज़ल

हमेशा तो नही होता

आंधियां आएँगी थम कर हमेशा तो नही होता।
मुझसे खुश मेरा मुकद्दर हमेशा तो नही होता।।

दो बोल ज़िन्दगी मीठे अक्सर बोल लेती है,
हर सू दर्द का मंज़र हमेशा तो नही होता।

ऑंखें पीठ पीछे भी रखना यार अब सीखो,
सामने से चले खंजर हमेशा तो नही होता।

प्यार के बीज बोने से प्यार के फूल खिलेंगे,
ज़मीं दिल की रहे बंजर हमेशा तो नही होता।

आएं ख्वाब में तो भी मेरी तस्कीन हो जाये,
मिले हमराह राहों पर हमेशा तो नही होता।

ज़हर बुझी हुई बातें मैं अक्सर भूल जाता हूँ,
दिल में चुभें रहें नश्तर हमेशा तो नही होता।

दोस्तों दुश्मनों से भी सबक मैं ले ही लेता हूँ,
सीखूं खा के ही ठोकर हमेशा तो नही होता।

हवाएं तेरे शहर की ‘लहर’ पैगाम लाती हैं,
खत ले अाए नामाबार हमेशा तो नही होता।

डॉ मीनाक्षी शर्मा

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा