जन्म दाता हे पिता तुम
जन्मदाता हे पिता तुम भूमि पर वरदान हो।
घर चमन के मुग्ध माली हम गुलों की जान हो।
शक्त पालक तुम हमारे मित्र सबसे हो अहम
गर्व है तुम पर हमें जीवन की तुम पहचान हो।
प्रेम, संतति हित तुम्हारा, जानती बेटी पिता
फर्ज़ के कटु आवरण में, मोम सी मुस्कान हो।
सद्गुणों के सार को, विस्तार तुमसे ही मिला
जन्म से थे मूढ़ हम, तुम गूढ़ अन्तर्ज्ञान हो।
क्या नहीं संस्कार तुमसे, पा लिए हमने भला
तुम गुरू शिक्षक तुम्हीं, तुम वेद हो व्याख्यान हो।
पथ प्रदर्शक तुम हमारे, मंज़िलें तुमसे मिलीं
गुत्थियों का हल सरलतम, तुम गणित विज्ञान हो।
रक्ष तुमसे संगिनी, बेफिक्र है संतान भी
तुम कवच परिवार के, पुख्ता अडिग चट्टान हो।
-कल्पना रामानी