जवानों के नाम
“देश के जवानों के नाम ”
हम सोते हैं चैन की नींद जब
वो बनते हैं पहरेदार
बुरी नज़र न डालो हम पर
करते हैं खबरदार ।
हमारे लिए फूलों की सेज है
उनके लिए काटों का बिछौना
बात-बात पर हम रो लेते
उनको आता है आंसू पीना ।
हम घरों में अपनों के संग
अकेले वो होते बियावानों में
आये जब अपनों की याद
रोक लेते आंसू नैनों में ।
वो खाते हैं सीने पर गोली
जिंदगी के मज़े हम लेते हैं
उन मांओं के लिए सोचो एकबार
जिनके बेटे शहीद होते हैं ।
उन मासूमों का क्या है हाल
मिला न जिनको पिता का साथ
गिरे जब वो लड़खड़ाकर
पकड़े नहीं पिता ने हाथ ।
मेहंदी का रंग फीका भी न हुआ
मिट गया मांग का सिंदूर
व्यथा समझो उन बेवाओं की
रोती है जो बैठे कोसों दूर ।
जिसने दिये जनम ऐसे सपूतों को
उन मांओं को मेरा सलाम
अर्पित कर दिये जिन्होंने
दिल के टुकड़े को देश के नाम ।
अपने दर्द का रोना छोड़ो
उनके दर्द को समझो यारों
भारत मां के ऐसे सपूतों पर
सियासत न करो यारों
बहे जो रक्त उनके तन से
उसे पानी न समझो यारों ।
15 अगस्त पर जवानों को समर्पित
ज्योत्स्ना की कलम से
मौलिक रचना