बापू तेरी शान निराली
बापू तेरी शान निराली,
राष्ट्रपिता तुम कहलाए,
ऐसी आंधी बनकर आए,
अंग्रेजों को भगा पाए.
तुमने हमको सिखलाया है,
सच बोलो मीठा बोलो,
हाथ में लाठी, पाठ अहिंसा,
कायरता से मुख मोड़ो.
साक्षरता की सीख तुम्हीं ने,
भारत को थी सिखलाई,
इसीलिए हर बेटी-महिला,
शिक्षित बन आगे आई.
स्वच्छता की राह निराली,
केवल बात से नहीं बताई,
खुद करके सिखलाया सबको,
स्वच्छ रहो, इसमें है भलाई.
बुरा न देखो, बुरा न बोलो,
बुरा न सुनना प्यारे बच्चो,
यही हमारी उच्च सभ्यता,
सब जग को बतलाना बच्चो.
फिर कब आओगे बापू?
शिक्षा ऐसी देने को,
भ्रष्टाचार को दूर भगाने,
प्रेम का पाठ पढ़ाने को.
मुझे बापू की आत्मकथा ने जितना प्रभावित किया, उतना ही उनकी आत्मकथा के शीर्षक ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ ने. मैंने अपने एक शोधपत्र का शीर्षक ‘कविता के साथ मेरे प्रयोग’ रखा था. इस शोधपत्र पर मुझे राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.