“मुक्त काव्य”
“मुक्त काव्य”
चाह की राह है
गोकुल निर्वाह है
यमुना कछारी
रात अंधियारी
जेल पहरेदारी
देवकी विचारी
कृष्ण बलिहारी
लीला अपार है
चाह की राह है।।
गाँव गिरांव है
धन का आभाव है
माया मोह भारी
खेत और क्यारी
साधक नर-नारी
रक्षित फुलवारी
बाढ़ की बीमारी
पानी अथाह है
चाह की राह है।।
संतुष्टि बिहान है
प्यासा किसान है
बरखा बयारी
नैन कजरारी
अमृत बूँद चारी
गाय महतारी
पनघट की गागरी
किसको परवाह है
चाह की राह है।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी