कविता

“मुक्त काव्य”

“मुक्त काव्य”

चाह की राह है
गोकुल निर्वाह है
यमुना कछारी
रात अंधियारी
जेल पहरेदारी
देवकी विचारी
कृष्ण बलिहारी
लीला अपार है
चाह की राह है।।

गाँव गिरांव है
धन का आभाव है
माया मोह भारी
खेत और क्यारी
साधक नर-नारी
रक्षित फुलवारी
बाढ़ की बीमारी
पानी अथाह है
चाह की राह है।।

संतुष्टि बिहान है
प्यासा किसान है
बरखा बयारी
नैन कजरारी
अमृत बूँद चारी
गाय महतारी
पनघट की गागरी
किसको परवाह है
चाह की राह है।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ