गीतिका/ग़ज़ल

एक नन्हीं प्यारी चिड़िया

एक नन्हीं प्यारी चिड़िया, आज देखी बाग में।
चोंच से चूज़े को भोजन-कण चुगाती बाग में।

काँप जाती थी वो थर-थर, होती जब आहट कोई
झाड़ियों के झुंड में खुद को छिपाती बाग में।

ढूँढती दाना कभी, पानी कभी, तिनका कभी
एक तरु पर नीड़ अपना, बुन रही थी बाग में।

खेलते बालक भी थे, हैरान उसको देखकर
आज ही उनको दिखी थी, वो फुदकती बाग में।

नस्ल उसकी देश से अब, लुप्त होती जा रही
बनके रह जाएगी वो केवल कहानी बाग में।

है नियत उसके लिए अब, एक दिन हर साल का
ढूँढने आएँगे जब, उसकी निशानी बाग में।

‘कल्पना’ मिटने न दें, अस्तित्व ही इस जीव का
क्या हुआ फिर शोध हों, कि वो कब दिखी थी बाग में।

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]