बाल कथा – मिंटी के दाँत
‘माँ देखो न मेरे दाँत कितने चमकीले हैं … हैं न?’
‘हाँ पर तुम्हे इनका ध्यान रखना चाहिए… नही तो आगे चल कर चीज़ें कुतरने में कठिनाई होगी…’ माँ ने प्यार से कहा
मिंटी चुहिया अपने परिवार के साथ रोहन के घर रहती थी। रोहन का घर बहुत बड़ा था… मिंटी सारे घर में धमाचौकड़ी मचाती थी। बस रोहन के कमरे को छोड़ कर क्योंकि माँ ने मिंटी को वहाँ जाने से मना किया था। मिंटी को माँ का कहना मानना पड़ता था क्योंकि अभी वो छोटी थी। दो दिन पहले ही तो रोहन के पापा की लगाई हुई चूहेदानी में फंसते फंसते बची थी … तभी से और भी ज्यादा डर गई थी मिंटी।
पर रोहन के कमरे से बहुत अच्छी खुशबू आती थी खाने की…
क्या करूँ जाऊं अंदर या रुक जाऊं?’ सोचते सोचते मिंटी आज पहली बार कमरे के अंदर चली आई।
‘छी छी कितना गन्दा कर रखा है इसने अपना कमरा। सारा सामान इधर उधर फैला हुआ… खाना भी वहीँ खेलना और पढ़ना भी। तभी माँ मुझे मना करती है यहाँ आने से… परररर .. अरे वाह केक मिठाई बिस्कुट भी… मज़े आ गए, जम कर खाऊँगी आज तो।’
और मिंटी खाती गई… खाती गई… खाती ही गई।
‘उई माँ… पेट में दर्द हो रहा है और दाँत में भी …’ अचानक आधी रात को सोते सोते मिंटी चिल्लाई।
माँ ने घबरा कर पूछा- ‘तुमने कुछ उल्टा सीधा तो नही खा लिया मिंटी, बताओ मुझे’
‘हाँ माँ आज मैंने रोहन के कमरे में जा कर केक, बिस्कुट और बहुत सी मिठाई भी खाई थी’… मिंटी रोने लगी
‘मिंटी तुम्हे पता है रोहन के दाँतों में कीड़े लग गए हैं पेट भी रोज़ दर्द रहता है … क्योंकि वो चोकलेट, केक और ऊटपटांग चीज़े खाता है और खाने के बाद ब्रश भी नहीं करता। कुछ दिन पहले उसका एक दाँत भी निकालना पड़ा था डॉक्टर को। अब तुम भी चलना कल डॉक्टर के पास।’ माँ ने कहा
‘मुझे बचा लो माँ… अपने प्यारे दाँत खराब नहीं करने मुझे। अब से गलती नहीं होगी … सोच समझकर खाऊँगी और सोने से पहले ब्रश भी करूँगी… पक्का’। मिंटी ने रुआंसी सूरत बनाकर कहा।
‘ठीक है, सुबह डॉक्टर से दवा ले आएंगे। साथ ही अगर तुम अपने खाने पीने का ध्यान रखोगी तो जल्दी ही ठीक हो जाओगी।’ माँ ने प्यार से मिंटी को गले से लगा लिया