कविता

कागज और कलम

कागज़ और कलम
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ये कागज़ और कलम…..
यही तो है अब जीवन
जिनके साथ बांटती हूँ
अपने ख़ुशी और गम

वक़्त की फिसलती रेत पर
छूट जाता अपनों का साथ
उस दर्द के अकेलेपन को
कम करता है
ये कागज और कलम…..

जिंदगी के हर पड़ाव का सफर
कुछ ख़ास लम्हों की कसक
जो देते है टीस आज भी रह-रह कर
हर दर्द लिखती है
ये कागज़ और कलम……

तमाम वो अनकहे लफ्ज़
जो वयां नहीं होते लवों से
देते है उन्हें स्वर उनको
ये कागज और कलम……

एक ऐसा सच्चा साथी
जो धड़कनों की आवाज बन
करता है आत्मसात खुद में
वो है सच्चा मित्र हमारा
ये कागज़ और कलम…..

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]