घुस पाक सरहद में गए थे शेर हिन्दुस्तान के।
कर स्वप्न चकनाचूर आए नीच पकिस्तान के।।
जो फन उठाए नाग उसका फन कुचलना चाहिए।
हर वक्त छाती पर नहीं यूँ मूँग दलना चाहिए।
है सार गीता का यही पावन वचन भगवान के।
घुस पाक सरहद में गए थे शेर हिन्दुस्तान के।।
आतंकवादी भेजता लेकिन नहीं स्वीकारता।
शेखी बघारे रोज वो निर्लज्जता सिर धारता।
आदेश पा सैनिक उड़ाए परखचे शैतान के।
घुस पाक सरहद में गए थे शेर हिन्दुस्तान के।।
जो धैर्य का घट भर गया तो फिर चढ़ाई कर दिए।
भाषा समझता जो उसी में खूब फिर उत्तर दिए।
अब तक न सुधरे नित्य कुत्ते भौंकते इमरान के।
घुस पाक सरहद में गए थे शेर हिन्दुस्तान के।।
पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’