मां
” माँ ”
तू सबसे अलग
सबसे जुदा
अलग तेरी हर अदा है ,
जीवन के नाटक में
दुनिया के रंगमंच पर
अलग तेरा किरदार है ।
तू धरती है,
तेरी गोद में
अठखेलियां करतीं
बहती नदियां
ममता की धार हैं ।
करतीं हैं जो
जीवन का संचार निरन्तर है ।
तेरी ममता का भंडार
असीम,अमृत सम,
उसकी महिमा अपार है ।
लूटाए जिस पर ममता
धन्य वो ,
हो जाता उसका जीवन उद्धार है ।
तुझसे ही सृष्टि ,
जीवन पर तेरा ,
ये महान उपकार है ।
तू सबसे अलग,
सबसे जुदा,
गौरवमयी तेरी गाथा है ।
ज्योत्स्ना की कलम से
मौलिक रचना