स्नेहिल संवाद
बात कल सुबह की है. रोज की तरह हम सैर पर निकले ही थे, कि पड़ोसी का बड़ा-सा पालतू झबरा डॉगी, जो बाहर लॉन में अपनी मालकिन के साथ बॉल से खेल रहा था, रोड पार करके दौड़ता हुआ हमारे पास आ गया. हमें क्या पता वह क्या करने आ रहा है, पर उसके अचानक आकर टकरा जाने से हमारा गिरना तो निश्चित ही था, सो हम गिरे तो नहीं, अलबत्ता घास पर बैठ जरूर गए. अब तो हम पूरी तरह से उसकी गिरफ्त में थे.
कहते हैं कि निरंतर राम-राम कहते-जपते रहो, तो विपदा के समय भी मुंहं से राम ही निकलेगा. आपको पता ही है कि हम रास्ते में जाने-अनजाने लोगों से राम-राम करते चलते हैं, लेकिन विदेश में राम-राम की जगह Good morning कहते चलते हैं, सो इस विपदा की घड़ी में भी डॉगी को तब तक प्यार से ”Good morning, Good morning, Good morning” कहते रहे, जब तक उसकी मालकिन ने दौड़कर डॉगी को पकड़ नहीं लिया.
डॉगी ने भी शायद प्यार से बोले गए इस ”Good morning” को स्नेहिल संवाद ही समझा होगा, तभी उसने न हमें कहीं खरोंच लगाई, न काटा, बस थोड़ा-सा स्नेह-प्रदर्शन किया. डॉगी की चीनी मालकिन ने बड़े प्यार से ”Sorry, Sorry” कहा और हमारी तरफ हाथ बढ़ाया. हमने इसे स्नेहिल संवाद का हाथ समझकर हाथ मिलाया और ”No worries” कहा. बाद में समझ आया, यह हाथ पकड़कर मेरी सहायता कर मुझे उठाना चाहती है. मैंने इशारे से उसे अवगत कराया कि मैं खुद ही उठ जाऊंगी और संयत होकर उठ गई. उसने ध्यान से मुझे खड़ा होता हुआ देखा और पूछा- ”Are you 0k?”. मैंने कहा- ”No worries, I am all ok.”
ख़ैर, हम सैर मुल्तवी कर नहाना ठीक समझकर वापिस घर आए. इस में मुश्किल से 2 मिनट का समय लगा होगा. इसी दौरान दिल ने हमसे स्नेहिल संवाद स्थापित किया- ”शुक्र करो घास पर गिराया है, सड़क पर गिराता, तो क्या हाल होता!” फिर से दिल ने पुकारा- ”हंसकर सबको बताना, रोज सकारात्मक ब्लॉग लिखती हो. अभी मुझ पर ब्लॉग पूरा करके पोस्ट भी करना है.” दिल की पुकार अनसुनी न करके हमने यही किया. घर आकर अल्मारी में से कपड़े निकालते हुए पतिदेव से कहा- ”मैं नहाने जा रही हूं.” स्वभावतः कारण पूछा, हमने सब हंसकर बता दिया.
नहाकर आए तो फिर हमने कहा- ”बेटा तो ड्यूटी पर चला गया है, बहू को भी दीपावली मेले में Chef का इंटर्व्यू लेने जाना है, सो उसको बता देती हूं, ताकि डॉक्टर के पास जाना हो तो चली जाऊं. बहू ने डॉक्टर को फोन किया, तो डॉक्टर ने कहा- ”Mom से पूछो डॉगी ने कोई खरोंच तो नहीं लगाई और कहीं काटा तो नहीं और पड़ोसी से डॉगी के वैक्सीनेशन के बारे में भी पता करो. फिर जरूरत हो तो मेरे पास आ जाओ.” खैर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत तो नहीं ही पड़ी.
इस बीच बहू ने Google से स्नेहिल संवाद स्थापित कर लिया. Google ने फरमाया- ”ऐसे में डॉगी प्यार करने ही आया होगा, अन्यथा वह गुस्से से खरोंच लगाता या काटता.”
बहू ने हमारी बिटिया को फोन करके सारी वस्तुस्थिति समझाई. बिटिया ने कहा- ”आप आराम से ड्यूटी पर जाओ, ममी को जरूरत पड़ी, तो मैं आ जाऊंगी.” अब बिटिया से स्नेहिल संवाद हुआ. उसने कहा-
” Mom, how was your adventure?”
” Adventure was adventurous.” हमारा कहना था.
बेटे से स्नेहिल संवाद हुआ- ”Attack कर दिया?”
”Attack कहो या Adventure, हैं तो दोनों A से ही.” हमारा कहना था.
बात सुदर्शन भाई तक पहुंची, तो उन्होंने भी स्नेहिल संवाद के दौरान हाल-चाल पूछा- ”उम्मीद है आप बिल्कुल ठीक हैं.”
”जी बिलकुल, आपकी दुआ से सब ठीक-ठाक है.” हमारा कहना था. उसके बाद उन्होंने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी वे दिसंबर के दूसरे सप्ताह में ”मुफ्त नेत्र जांच शिविर” लगाने वाले हैं. इस बार 16 दिसंबर को इस कैंप का आयोजन है. उन्होंने यह पैम्फ्लेट भी भेजा-
बाद में बिटिया-दामाद ने तो आना ही था. बहू दीपावली मेले से हमारे लिए ढोकला लाई थी और बिटिया हमारी पसंद का पेठे का स्वादिष्ट हलवा बनाकर लाई थी. स्नेहिल संवाद के साथ स्नेहिल स्नैक्स भी हो गए.
अच्छा हुआ पड़ोसी के पालतू झबरा डॉगी रविवार को ही हमसे स्नेहिल संवाद किया, इसी बहाने बाकी सबसे भी आराम से स्नेहिल संवाद हो सका, आगे के 5 वर्किंग डेज़ तो भागा-दौड़ी के होने वाले है. दिवाली वाले दिन भी सब अपने काम पर जाएंगे. उस दिन मैं भी पूरा दिन अपने स्कूल के साथ रहने वाली हूं, पहले क्लास और फिर स्पेशल लंच.
आज धनतेरस है यानी दीपावली का पर्व प्रारंभ हो गया, आप सबको दीपों का त्योहार दिवाली मुबारक हो. स्नेहिल दीपों की पंक्तियां आपके और आपके परिवार में खुशियों की रोशनी और समृद्धि की चमक लाएं.
रोज सकारात्मक ब्लॉग्स लिखने-पढ़ने के कारण इस घटना से विचलित होने से बच गई, अन्यथा झटका बड़ा जोर से लगा था. शुक्र है मालिक का. आप सबको शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं