कविता

ज्योति का पर्व

ज्योति का पर्व है आया
चारों तरफ उजाला छाया,
दीपों से पूरा घर जगमगाया
उतर आया है सितारों का कारवां,
झिलमिलाते है चारों तरफ जुगनू
पटाखों की धूम मची है,
कुछ आखे खुशियां ढूढ रही हैं।
हम दिवाली मनायेंगे कैसे,
कुछ लोगों की गरीबी
कैसे मनाएं हम दिवाली,
हमारे लिए तो सब दिन बराबर है।
रोशनी का त्यौहार मनाये कैसे,
हम खुशियां लाए कैसे
यह त्यौहार तो सभी का है,
हम क्यो वंचित रह जाये।।
गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384