ग़ज़ल
दीप पर्व है दीप जलाओ।
मिलकर सारे यार मनाओ।
बारूदी को फेक परे अब,
ग्रीन पटाखे खूब दगाओ।
हिन्दू मुस्लिम भूलो अब तुम,
ईद दशहरा साथ मनाओ।
लाभ मुनासिब सारे ले लो,
बेजा पर मत दाम बढ़ाओ।
हमको खानों में जो बाँटे,
आज सियासत मार भगाओ।
— हमीद कानपुरी