गीतिका/ग़ज़ल

माँ

मिल रही सबको ज़िन्दगी माँ से।
आदमी   आज  आदमी   माँ से।

हर  तरफ  आज  रौशनी़  माँ से।
मिल रही मुझको ताज़गी माँ से।

दूर  होती    है  तीरगी    माँ  से।
दीन दुनिया   की रौशनी़ माँ  से।

क्याखुदाऔरउसकी कुदरत क्या,
मैंने  सीखी   है बन्दगी   माँ  से।

दूर  जाना    तेरा  उसे    सदमा,
मत करो  यार  दिल्लगी  माँ से।

उसके बिन है  यहाँ सभी  सूना,
घर में  पूरे   है  नगमगी  माँ से।

हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415