आशीर्वाद
केशव रोज़ अपने ममी-पापा और दादी-दादू के पाँव छूकर विद्यालय जाता और सभी उसे ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद देते। ममी ने समझाया था कि बड़ों की इज्जत करनी चाहिये और उनका कहना भी मानना चाहिये। ऐसा करने से उनका मन खुश रहता है और मन से आशीर्वाद ही निकलता है। केशव विद्यालय में भी अच्छे तरीके से रहता। एक दिन पास बैठे दोस्त ने केशव को धक्का दिया वो नीचे गिर गया, पर वो जल्दी ही उठा और उसने अपने दोस्त को डांटा कि तुमने ऐसा क्यों किया तो उसने कहा मैं देखना चाहता था कि सब तुम्हारी तारीफ़ करते हैं और आशीर्वाद देते हैं तुम गिरते हो तो तुम्हें लगती है या नहीं। केशव हंस पड़ा कहता….तुम धक्का दोगे तो गिरूंगा ही और लगेगी भी। पर तुझे पता है जब हम अच्छे काम करते हैं बड़ों की इज्जत करते हैं उनका कहना मानते हैं और अच्छे काम करते हैं तो हमें भी अच्छा लगता है, सारा दिन मन खुश रहता है और जब आशीर्वाद मिलता है न …तो लगता है जैसे वो हर समय हमारे साथ है जो हमें गल्त काम करने से रोकता है और अच्छे काम के लिए प्ररेणा देता है…समझे।