छोटू का गुब्बारा।
एक बड़ी सी गाड़ी गुब्बारे वाले के पास रुकी, छोटा अवि जिद्द करने लगा तो महेश ने साथ आए छोटू को पैसे देकर पाँच गुब्बारे लाने को कहा, था तो छोटू भी अभी नन्हाँ पर वो उनकी कामवाली का बेटा था। महेश की कामवाली उनके साथ ही घर पर रहती थी ।पति नहीं था तो महेश के घर कम करती बदले में महेश और सीमा उसे खाना भी खिलाते कुछ खर्चा भी देते और सीमा कभी फ्री होती तो उसके बेटे छोटू को पढ़ा भी देती। एक कमरा भी मिला था उन्हें अलग। छोटू गुब्बारे लेते लेते सोच रहा था शायद साहब एक गुब्बारा उसे भी देंगे। जब छोटू गुब्बारे ले आया तो अवि खेलने लगा और एक के बाद एक फोड़ दिए अब दो ही बचे थे, महेश ने अवि को कहा फोड़ क्यों रहे हो एक गुब्बारा छोटू को भी दो। अब अवि और छोटू खेलने लगे थे , छोटू बहुत खुश हुआ। उसे पता था उसके साहब और मेमसाहब बहुत अच्छे हैं। पर जब एक गुब्बारा छोटू से फट गया तो अवि ने छोटू को बहुत मारा और बहुत डांटा भी , महेश ने बहुत समझाया पर वो जिद्द पर अड़ा रहा उसे वही गुब्बारा चाहिये था। छोटू बहुत ठगा सा और असहज हो गया एक गुब्बारे के लिए अवि का बर्ताव उसे अच्छा नहीं लगा उसने जानबूझ कर नहीं फोड़ा था। छोटू समझ चुका था कि वो गुब्बारे अवि के थे जो उसको पापा ने लेकर दिए थे, वो एक भी छोटू का गुब्बारा नहीं था। गाड़ी घर तक आ गई थी पर अवि की मार का असर एक गुब्बारे के लिए छोटू नहीं भूला था।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !