लेख

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

जब जब इस दुनियां में मानव का अस्तित्व खतरे में हुआ है तब तब शिक्षा का महत्व बहुत काम आया है शिक्षा का मतलब एक ऐसे ग्यान से है जो किसी भी वस्तु या स्थिति का क्रमबद्ध , सुव्यवस्थित तथा सुसंगठित ढंग से सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाती है ।
प्राचीन काल के युगों का अध्ययन करने पर शिक्षा के बहुत सारे अस्तित्व प्राप्त हुये है और उसी शिक्षा के द्वारा मानव जीवन का अस्तित्व अभी तक बना हुआ है जब भी हम मानव व्यक्ति अज्ञानता के वशीभूत होकर प्रकृति से छेडछाड करते हैं तब प्रकृति मानव के अस्तित्व को बचाने के लिये संकेत देती है लेकिन जब मानव इन प्रकृति के संकेतों का मतलब समझ नहीं पाता है तब मानव का अस्तित्व खतरे में पडने लगता हैं और अंत में प्रलय का रूप लेकर समस्त दुनियां से मानव का अस्तित्व पूर्णतया खतम हो जाता है ।
सम्पूर्ण दुनियां के सभी लोग मानव के अस्तित्व को बचाने के लिये तरह तरह के तरीके अपनाते है लेकिन फिर भी असफल रहते हैं इस असफलता का मूल कारण यह कि हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रकृति की अनुमति से प्रकृति पर निर्भर रहना पडता है लेकिन जब हम अपनी जरूरतों को बढा देते हैं तो प्रकृति हमारी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो जाती है तब मानव से अपनी जरूरतें कम करने के लिये बाध्य करती है लेकिन हम सब प्रकृति के संकेतों को नहीं मानते और अंत में मानव के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने लगता है ।
फिर मानव को प्रकृति के साथ अपना मेल रखने लिये प्रबुद्धजनो की सहायता लेनी पड़ी । और यही प्रबुद्धजन आज शिक्षक का रूप लेकर सभी मानव समाजों को प्रकृति के अनुरूप बनाते हैं जिससे हमारा प्रकृति से मेल कभी खत्म न हो और जब प्रकृति से मानव का मेल मिलाप रहेगा तब मानव अधिक समय तक इस दुनियां में अपना अस्तित्व बनाये रख सकता है ।
मेरे एक अनुमान के मुताबिक हमारे सौरमंडल में आज जो आठ ग्रह चक्कर लगा रहे हैं इन ग्रहों में पृथ्वी को छोडकर अन्य ग्रहों में जीवन नहीं है लेकिन यह कहा जा सकता है , कि हो सकता है इन ग्रहों में जीवन रहा हो और इसी तरह मानव के प्रकृति से छेडछाड के द्वारा वहां पर मानव अस्तित्व ही खत्म हो गया हो । इसलिये हमें उन बेजान ग्रहों से सीखना जरूरी है कि अब हमें भी अज्ञानता वश प्रकृति से असीमित साधनों का उपभोग नही करना है । और इस लिये हमें अच्छे प्रबुद्धजनो, अच्छे वैज्ञानिकों तथा प्रकृति प्रदत्त नियमों को मानव जीवन के अस्तित्व को बचाने लिये लाना चाहिये ।
अन्य देशों की तरह हमारे देश में प्रबुद्धजनो तथा प्रकृति को बचाने की शिक्षा की बहुत कमी है हमारे देश में मानव संसाधन तो बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध है लेकिन हमारे पास मानव संसाधन का उपयोग करने के लिये सुव्यवस्थित एवं सुसंगठित ग्यान की कमी है इसलिये हमारे देश के लोग अपनी समस्त जरूरतो को पूरा करने के लिये प्रकृति पर ही निर्भर रहते हैं और इसीलिये हमारे देश के सभी प्राकृतिक संसाधनों का अस्तित्व खतरे मे आ गया है अगर हम सब इन खतरों से बचने के लिये समयबद्ध तरीके से काम नहीं करेंगे तो हम सब बहुत जल्द अपने आप को खत्म कर लेंगे ।
जबसे हमारा देश स्वतंत्र हुआ है तब से शिक्षा के लिये नये नये नियम कानून बनाये गये लेकिन उन नियमों को ठीक तरह से अमल ही नहीं किया गया और आज हम जिस स्थिति में आकर खड़े हो गये हैं वहाँ से न तो आगे जा सकते हैं और न ही अब वापस लौट सकते हैं इसलिये अब हम सबको अपने प्रत्येक कदमों को फूंक फूंककर कदम रखना होगा और पिछली गलतियों से सीख लेकर बनाये गये नियमों पर अमल करना होगा ।
देश के लोग प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक दिवस को बडी धूम धाम से मनाते हैं स्कूलों , कालेजों तथा अन्य सरकारी कार्यालयों में इस दिन अवकाश दे दिया जाता है लेकिन जब तक हम शिक्षक दिवस के महत्व के नही समझेंगे तो ऐसी धूमधाम हमारे किसी काम की नहीं है शिक्षक हमे जीवन को जीने की शैली के अनुरूप डालता है शिक्षक हम सबको सभ्य बनाने के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन शिष्यों को सभ्य बनाने में न्योछावर कर देता है क्योकि वह जानता है कि शिक्षा के बिना हम जीवन को सुव्यवस्थित ढंग से नहीं जी सकते इसलिये हम सभी को शिक्षक के सारे सद्गुणों को , जिनके द्वारा वह हमें प्रकृति की शैली में ढालने में मदद करते हैं उन सद्गुणों को हम सबको जरूर अनुसरण करना चाहिये और प्रकृति तथा अपने जीवन को बचाने का सिर्फ यही एक जरिया है ।जब प्रकृति की सुरक्षा के लिये हम सब पूरी तरह तैयार हो जायेगें तभी राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का महत्व पूरी तरह समायोजित होगा ।
हमारे देश में सभी स्कूलों तथा कालेजों में प्रकृति को बचाने तथा उसके मेल जोल के पाठ्यक्रम शामिल करना चाहिये जिससे बच्चों को पहली कक्षा से प्रकृति से लगाव की अनुभूति होने लगे ।
आज सम्पूर्ण विश्व में जलवायु परिवर्तन का संकट बहुत बढ रहा है यह एक ऐसी स्थित है अगर हम सब इस परिस्थिति से अनजान बनते हैं तो बहुत जल्द हम सब अपने आप को खो सकते है क्योकि जलवायु परिवर्तन होने से हमारी पृथ्वी का तापमान बढ रहा है जिसके प्रभाव से गर्मी अधिक पडेगी जो अनेक बीमारियों का घर हो जायेगा तथा अंटार्कटिक महासागर मे वर्षों की बर्फ पिघलने लगेगी जिसके प्रभाव समुद्र का जल स्तर बढ जायेगा और मानव जीवन खत्म होने की कगार पर आ जायेगा । यह परिस्थिति आने का मूल कारण हमारी असीमित जरूरते जिनको पूरा करने के लिये हम बिना किसी परिणाम की चिन्ता किये ही अपनी जरूरतें पूरी करतें रहें हैं और आज ऐसी खतरनाक स्थिति पर पहुंच गये हैं ।
यदि हम सबको अपने जीवन को खुशी तथा आराम से जीना है तो सबसे पहले हमें अपनी जरूरतों को कम करना चाहिये और किसी भी प्राकृतिक संसाधन के उपभोग के पहले हमें उसके क्रमबद्ध सुव्यवस्थित तथा सुसंगठित ढंग से अध्ययन करके उसके प्रभाव के बारे में सटीक अध्ययन करके तथा उसक उपभोग सीमित करने लिये प्रभावी होना चाहिये तभी शिक्षा के इस महत्व को पूरा कर सकते हैं वरना आज तो प्रत्येक समाज शिक्षित तो हो रहा है लेकिन कोई भी शिक्षा के महत्व को नहीं पहचानता है क्योकि आज की शिक्षा सबसे ज्यादा उद्योगों धंधों को बढावा देती है जिससे हमें हानिकारक प्रभावो का सामना करना पडता है और यही शिक्षा कल हमें बहुत खतरनाक स्थिति तक ले जा सकती है जहाँ से वापस आना बहुत मुश्किल ही नही नामुमकिन भी होगा । आज शिक्षा ही हमारा जीवन है , इसलिये हमें अपनी शिक्षा से प्रकृति रूपी धरोहर को बचाने के लिये अपने आप को प्रकृति पर ही समर्पित करना चाहिये तभी प्रकृति को बचाया जा सकता है तथा मानव जीवन यहाँ अत्यधिक समय तक रह सकता है ।

(ओम नारायण कर्णधार)
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश )

ओम नारायण कर्णधार

पिता - श्री सौखी लाल पता - ग्राम केवटरा , पोस्ट पतारा जिला - हमीरपुर , उत्तर प्रदेश पिन - 210505 मो. 7490877265 ईमेल - omnarayan774@gmail.com