क्यों ठहरे तुम जीवन पथ पर
लहरों से डरकर मेरे साथी
ठहराव नहीं अच्छा साथी।
क्यों ठहरे तुम कंटक पथ पर
भयभीत हो शूलों से साथी
ठहराव नहीं अच्छा साथी।
क्यों ठहरे तुम दुख की राह पर
त्रासदी से त्रासद हो साथी
ठहराव नहीं अच्छा साथी।
क्यों भूले तुम जीवन दर्शन
हर पल सुख दुख का मिश्रण
तत्व ज्ञान का ध्यान हो साथी
ठहराव नहीं अच्छा साथी।
रूठे चाहे धरती यह सारी
हो चाहे आकाश भी भारी
पर तुम न रुकना मेरे साथी
ठहराव नहीं अच्छा साथी।
— निशा नंदिनी
तिनसुकिया,असम