गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

निभाया हैं हमने और निभाते रहेंगे
तेरी बज्म में हम तो रोज आते रहेंगे

खुदा का करम है हम पर सुनो तुम
दर पे उसी के ये सर झुकाते रहेंगे

मिलते कहां हो तुम हमसे ओ रहबर
ताने सुनाकर हमें लोग जलाते रहेंगे

पड़ जाये हम पर नजर इनायतें जो
दिलो जां सब अपनी लुटाते रहेंगे

फिसलने लगा है वक्त रेत सा सुन
है जिन्दगी के चार पल बताते रहेंगे

कट जायेगी उम्र यूं रोकर रूलाकर
जनाजा हम अपना खुद सजाते रहेंगे

गुजर जाये जो हम आपकी गली से
बाद मुद्दत के मुझको बुलाते रहेंगे

अब तलक खत तेरा रखा छुपाकर
उसी को किताबो में हम छुपाते रहेंगे

है गुलजार उसमे अब भी वो खुश्बू
पहले मिलन की नज्म सुनाते रहेंगे

प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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