गीतिका/ग़ज़ल

माँ की दुआ

ब्रह्म का ब्रह्मांड पर,  उपकारहै माँ की दुआ।

दैव्य से हमको मिला,  उपहार है माँ की दुआ।

भोग भव के हैं सभी  फीके,  अगर संतान को

मिल न पाए जो भुवन का,  सार है माँ की दुआ।

माँ के होते छू लें हमको,  कटु हवाएँ  क्या मजाल

पीर से माँगी हुई,  मनुहार है माँ की दुआ।

शक्ति का यह वृत्त है,  संतान को घेरे हुए

काल भी नत हो ये वो,  दरबार है माँ की दुआ।

ज़िंदगी का पुण्य हर,  करती है अर्पण माँ हमें

प्रार्थनाओं से भरा,  आगार है माँ की दुआ। 

भाँप लेती मुश्किलों को,  ओट से अज्ञात की

बन कवच आ जाती ऐसा,  प्यार है माँ की दुआ।

छोडकर इह लोक माँ  चाहे बसे परलोक में

पर सदा हमसे जुड़ा  वो, तार है माँ की दुआ।

अर्ज़ है यह ‘कल्पना’  सुख सर्व को माँ का मिले

हर सुखी परिवार का,  आधार है माँ की दुआ।

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]