एक देशभक्त की पीड़ा
डूब गयी सूरज की आभा, तम का फिर अधिकार हुआ
मोदी का तप और परिश्रम, नोटा से बेकार हुआ
देशभक्त का हुआ निरादर, शासन में ग़द्दार हुआ
भारत माता की जय रोकी, पाक का जय-जयकार हुआ
मँहगाई पर रोक लगायी, घोटालों का नाम नहीं
सेना को मज़बूत बनाया, फिर भी हा-हाकार हुआ
गाँव-गाँव में लाये बिजली, घर-घर में पहुँचाई गैस
किन्तु मुफ़्तख़ोरी के कारण, वोटों का व्यापार हुआ
चोरों का सरदार बना जब नकली हिन्दू जनेऊधारी
सारे हिन्दू मूर्ख बन गये, देश का बंटाधार हुआ
— विजय कुमार सिंघल “अंजान”