मुक्तक/दोहा

पल पल मिलता दर्द

कभी तपिश, कभी बारिशें,और कभी मौसम सर्द ।
ऋतुएँ बदलें, जीवन वही, पग पग मिलता दर्द ।।

व्यथित मन में गूँजा किए , कुछ मौन के संवाद ।
ख़त्म कब हो जीवन दिवा,कब जुड़ेंगे? बिखरे हर्फ़।।

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]