कविता

प्रेम मीन का

सच बतलाना तुम सागर
तुमसे मेरा क्या नाता है।
पास देख कर तुम्हें मगर
प्रेम उमड़ घुमड़ आता है।

समझा सर्वस्व तुम्हीं को मैंने
तुम में ही सब कुछ पाया है।
शैतान शिकारी से फिर तुमने
मुझको क्यों नहीं बचाया है।

अटूट प्रेम है मेरा तुम से
जीवन तुम में समाया है।
गति नहीं तुमको तज के
प्राणों से हाथ गँवाया है।

मैं पड़कर मोह में तुम्हारे
अपना सुख-दुख भूल गई।
एक आलिंगन पर तुम्हारे
अपना सब कुछ वार गई।

प्रेम तुम्हारे मैं अकंठ डूबी
छोड़ अपना घर द्वार आई।
समझा अपना तुमको ही
मैं जीवन अपना खो आई।

खेल समझ लहरों को मैंने
खेले अद्भुत खेल अनेक।
भुजबल के मधुर मोह में
देखे मधुरिम स्वप्न अनेक।

रक्षक तुम मेरे प्राणों के
क्यों मुझसे मुंह मोड़ लिया।
फेंका जब जाल मछुआरे ने
क्यों नहीं रस्ता रोक लिया।

रोका बहुत मुझको माँ ने
तू मत जा पास सागर के।
पर न मानी माँ की मैंने
जाने की मैंने ठानी मन में।

समझाया बहुत पिता ने भी
पर उनका अपमान किया।
छोड़कर सब संगी- साथी
तुमको पाने का ठान लिया।

न मानी थी बात माँ की
पिता का था अपमान किया।
सजा भुगतने उसी दंड की
देवों ने दर पर छोड़ दिया।

करते देव उसी की रक्षा
मातृ- पितृ करते सम्मान।
शुभाशीष ले गुरूओं का
करते जीवन का आयान।

अहसास कर गलती अपनी
दौड़ चली सरपट घर को।
चरणों में पिता के गिर पड़ी
करबद्ध क्षमा याचना को।

लग माता की छाती से
अपना दुख दूर किया।
माँ ने भी बड़े प्यार से
बेटी को अपना लिया।

आँसू से पश्चाताप के
धुल उसका सब दुख गया।
चरणों में माता-पिता के
पा उसने सब सुख लिया।

क्या महत्व है अनुभव का
मीन अब सब जान गई।
अनुभवी मात पिता का
कहना वह सब मान गई।

बुद्धि तीव्र होती पढ़ने से
न मिले किताबों में सब ज्ञान।
सीखता मानव अनुभव से
अनुभव से मिले अनोखा ज्ञान।

अंहकार में डूबी थी मैं
स्वयं को समझ रही ज्ञानी।
ठोकर लगते ही समझी मैं
मैं तो थी अति अज्ञानी।

करते जो रहकर जग में
मात-पिता का सम्मान।
उस नर को मिलता जग में
पुण्य कर्मों का वरदान।

दौड़ चली पास मित्रों के
झटपट सारी व्यथा सुनाई।
सुन कथा व्यथा मित्रों ने
अपने जीवन थी अपनायी।

मिली सीख दुर्बल मीन को
जीवन में लिया उसने उतार।
करूं न उस संग प्रेम को
नहीं है जिसका हृदय उदार।

सागर है अति गंभीर धीर
न समझा पर पवित्र प्रेम को।
देकर उस बहुरुपिये को सीख
छोड़ दिया बरसों के प्रेम को।

निशा नंदिनी
तिनसुकिया, असम

*डॉ. निशा नंदिनी भारतीय

13 सितंबर 1962 को रामपुर उत्तर प्रदेश जन्मी,डॉ.निशा गुप्ता (साहित्यिक नाम डॉ.निशा नंदिनी भारतीय)वरिष्ठ साहित्यकार हैं। माता-पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता व राधा देवी गुप्ता। पति श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता। बेटा रोचक गुप्ता और जुड़वा बेटियां रुमिता गुप्ता, रुहिता गुप्ता हैं। आपने हिन्दी,सामाजशास्त्र,दर्शन शास्त्र तीन विषयों में स्नाकोत्तर तथा बी.एड के उपरांत संत कबीर पर शोधकार्य किया। आप 38 वर्षों से तिनसुकिया असम में समाज सेवा में कार्यरत हैं। असमिया भाषा के उत्तरोत्तर विकास के साथ-साथ आपने हिन्दी को भी प्रतिष्ठित किया। असमिया संस्कृति और असमिया भाषा से आपका गहरा लगाव है, वैसे तो आप लगभग पांच दर्जन पुस्तकों की प्रणेता हैं...लेकिन असम की संस्कृति पर लिखी दो पुस्तकें उन्हें बहुत प्रिय है। "भारत का गौरव असम" और "असम की गौरवमयी संस्कृति" 15 वर्ष की आयु से लेखन कार्य में लगी हैं। काव्य संग्रह,निबंध संग्रह,कहानी संग्रह, जीवनी संग्रह,बाल साहित्य,यात्रा वृत्तांत,उपन्यास आदि सभी विधाओं में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्त-हृदय (बाल काव्य संग्रह) नया आकाश (लघुकथा संग्रह) दो पुस्तकों का संपादन भी किया है। लेखन के साथ-साथ नाटक मंचन, आलेखन कला, चित्रकला तथा हस्तशिल्प आदि में भी आपकी रुचि है। 30 वर्षों तक विभिन्न विद्यालयों व कॉलेज में अध्यापन कार्य किया है। वर्तमान में सलाहकार व काउंसलर है। देश-विदेश की लगभग छह दर्जन से अधिक प्रसिद्ध पत्र- पत्रिकाओं में लेख,कहानियाँ, कविताएं व निबंध आदि प्रकाशित हो चुके हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश, डिब्रूगढ़ असम व दिल्ली आकाशवाणी से परिचर्चा कविता पाठ व वार्तालाप नाटक आदि का प्रसारण हो चुका है। दिल्ली दूरदर्शन से साहित्यिक साक्षात्कार।आप 13 देशों की साहित्यिक यात्रा कर चुकी हैं। संत गाडगे बाबा अमरावती विश्व विद्यालय के(प्रथम वर्ष) में अनिवार्य हिन्दी के लिए स्वीकृत पाठ्य पुस्तक "गुंजन" में "प्रयत्न" नामक कविता संकलित की गई है। "शिशु गीत" पुस्तक का तिनसुकिया, असम के विभिन्न विद्यालयों में पठन-पाठन हो रहा है। बाल उपन्यास-"जादूगरनी हलकारा" का असमिया में अनुवाद हो चुका है। "स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्व विद्यालय नांदेड़" में (बी.कॉम, बी.ए,बी.एस.सी (द्वितीय वर्ष) स्वीकृत पुस्तक "गद्य तरंग" में "वीरांगना कनकलता बरुआ" का जीवनी कृत लेख संकलित किया गया है। अपने 2020 में सबसे अधिक 860 सामाजिक कविताएं लिखने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। जिसके लिए प्रकृति फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। 2021 में पॉलीथिन से गमले बनाकर पौधे लगाने का इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। 2022 सबसे लम्बी कविता "देखो सूरज खड़ा हुआ" इंडिया बुक रिकॉर्ड बनाया। वर्तमान में आप "इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल न्यास" की मार्ग दर्शक, "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" की कार्यकर्ता, विवेकानंद केंद्र कन्या कुमारी की कार्यकर्ता, अहिंसा यात्रा की सूत्रधार, हार्ट केयर सोसायटी की सदस्य, नमो मंत्र फाउंडेशन की असम प्रदेश की कनवेनर, रामायण रिसर्च काउंसिल की राष्ट्रीय संयोजक हैं। आपको "मानव संसाधन मंत्रालय" की ओर से "माननीय शिक्षा मंत्री स्मृति इरानी जी" द्वारा शिक्षण के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है। विक्रमशिला विश्व विद्यालय द्वारा "विद्या वाचस्पति" की उपाधि से सम्मानित किया गया। वैश्विक साहित्यिक व सांस्कृतिक महोत्सव इंडोनेशिया व मलेशिया में छत्तीसगढ़ द्वारा- साहित्य वैभव सम्मान, थाईलैंड के क्राबी महोत्सव में साहित्य वैभव सम्मान, हिन्दी साहित्य सम्मेलन असम द्वारा रजत जयंती के अवसर पर साहित्यकार सम्मान,भारत सरकार आकाशवाणी सर्वभाषा कवि सम्मेलन में मध्य प्रदेश द्वारा साहित्यकार सम्मान प्राप्त हुआ तथा वल्ड बुक रिकार्ड में दर्ज किया गया। बाल्यकाल से ही आपकी साहित्य में विशेष रुचि रही है...उसी के परिणाम स्वरूप आज देश विदेश के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उन्हें पढ़ा जा सकता है...इसके साथ ही देश विदेश के लगभग पांच दर्जन सम्मानों से सम्मानित हैं। आपके जीवन का उद्देश्य सकारात्मक सोच द्वारा सच्चे हृदय से अपने देश की सेवा करना और कफन के रूप में तिरंगा प्राप्त करना है। वर्तमान पता/ स्थाई पता-------- निशा नंदिनी भारतीय आर.के.विला बाँसबाड़ी, हिजीगुड़ी, गली- ज्ञानपीठ स्कूल तिनसुकिया, असम 786192 [email protected]