ग़ज़ल – आसमां हमको हासिल हुआ ना कभी
आसमां हमको हासिल हुआ ना कभी
ना ही कदमों तले अब जमी रह गई।
जाने क्या बात थी कह ना पाए तुम्हें
आज आंखों में फिर से नमी रह गई ।
होके रुसवा मोहब्बत निभाई सुनो
मेरी चाहत में फिर क्या कमी रह गई।
नाम तेरा जुबां पर जो आया कभी
मेरी धड़कन थमी की थमी रह गई।
हां मैंने हर चीज तेरी तुझे सौंप दी
कि तेरी तस्वीर दिल में बनी रह गई।
तू अमानत है जानिब किसी और की
दिल की बात दिल में दबी रह गई।
— पावनी जानिब