गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – हमको हर बात याद है

वो पहले मिलन की हमको हर बात याद है
हम तुम कहां मिले जगह दिन रात याद है।

भूले नहीं हैं कुछ भी के ऐतबार तो करिए
हाथों में तुमने जब लिया था हाथ याद है।

देखा तुम्हें हर लम्हा जैसे चांद को चकोर
क्या तुमको मेरी पलकों की बरसात याद है।

कह सके न हम कुछ कह सके न तुम कुछ
वह खामोश निगाहों की मुलाकात याद है।

वो कौन सी ग़ज़ल थी जो मनको छू गई
जो था ग़ज़ल मे हर एक जज़्बात याद है।

तुम अपनी कहो जानिब हम अपनी क्या कहें
तुम पास से गुजरे थे वो एहसास याद है।

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर