ग़ज़ल
वो सभी किस्से कहानी और है
ये बुढ़ापा की जवानी और है |
मौज मस्ती की जवानी और है
सादगी की जिंदगानी और है |
तारिकाएं खूब हैं संसार में
वो सितारे आसमानी और हैं |
खत लिखा तू ने मिला मुझको अभी
रूबरू कहना जबानी और है |
उसको’ समझाया बहुत, माना नहीं
अपने’ मन मेंउसने’ ठानी और है|
कष्ट में उपकार करते लोग किंतु
आपकी यह मेहरबानी और है |
बेइमानी एकसा है सब जगह
दोस्त की जो बेइमानी और है |
चीख कर कोई बड़ा होता है’ क्या
शेर बब्बर खानदानी और है |
कुछ कहें दिन, रात कहते और सब
यह फसाना है, बयानी और है |
फक्त अभिनंदन सभी करते यहाँ
दोस्त की तो मेजवानी और है |
भारती में स्वाभिमानी अब कहाँ
फक्त ‘काली’ स्वाभिमानी और है |
कालीपद ‘प्रसाद’