ग़ज़ल
ख्वाब में यूँ नहीं आया जाया करो।
ख़्वाब में आ नहीं अब सताया करो।
याद आते बहुत हो मुझे रात दिन,
इस तरफ भी कभी घूम जाया करो।
झूठ बोलो नहीं फायदे के लिये,
सच को सच ही हमेशा बताया करो।
प्यार को तुम तिजारत समझते अगर,
प्यार देकर यहाँ प्यार पाया करो।
चाहते हो अगर साफ सुथरी फज़ा,
घर से बेकार सामां हटाया करो।
फितरतन बेवफा है ज़माना हमीद,
बेवफा से नहीं दिल लगाया करो।
— हमीद कानपुरी