नूतन वर्षाभिनंदन
नया काल है, नया साल है, गीत नया हम गाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।
बीत गया जो, विस्मृत करके,
नव उत्साह जगाएं
सुखद पलों को स्मृति में रख,
कटुता को बिसराएं
नई ऊर्जा, नई दिशाएं,नव संकल्प सजाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।
अंतर्मन में शुचिता लेकर,
नव परिवेश बनाएंगे
हर इक को हम लगें मधुर शुभ,
ऐसे भाव निभाएंगे
रीति-नीति औ’ प्रीति पिरोकर, माला गूंथे जाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।
आशा औ’ विश्वास के मोती,
मेरी अब आभा होंगे
लगन, समर्पण, सत्य-आग्रह,
मेरी अब शोभा होंगे
आगत तो है मधुर-सुहाना, यह सबको दिखलाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।
— प्रो.शरद नारायण खरे