गीत/नवगीत

नूतन वर्षाभिनंदन

नया काल है, नया साल है, गीत नया हम गाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।

बीत गया जो, विस्मृत करके,
नव उत्साह जगाएं
सुखद पलों को स्मृति में रख,
कटुता को बिसराएं

नई ऊर्जा, नई दिशाएं,नव संकल्प सजाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।

अंतर्मन में शुचिता लेकर,
नव परिवेश बनाएंगे
हर इक को हम लगें मधुर शुभ,
ऐसे भाव निभाएंगे

रीति-नीति औ’ प्रीति पिरोकर, माला गूंथे जाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।

आशा औ’ विश्वास के मोती,
मेरी अब आभा होंगे
लगन, समर्पण, सत्य-आग्रह,
मेरी अब शोभा होंगे

आगत तो है मधुर-सुहाना, यह सबको दिखलाएंगे ।
करना है कुछ नवल-प्रबल अब, मंज़िल को हम पाएंगे ।।

— प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com