गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

गज़ल
1212 -1122 -1212-22
तमाम उम्र हम सज़ा में गुनहगार रहे,
तमाम उम्र उठाये हैं नाज़ पत्थर के.

कभी किसी के अरमा हुये झलक मंजर ले
लिहाज़ बन उड़ाये हैं वाज़ अंदर के.
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
लगाम पकड़ घुमाये है साज़ मुकद्दर के.

हमारे क़त्ल का इल्जाम तुम्हारे सर है
दवाब में थे वो सुलगते बवंडर के.
सरों पे धूप की गठरी उठाये फिरते हैं
दिलों भरे जलवे दिलकशी चादर के.
मिसाल बन थे उम्र भर दफ़न सीने में
अहद सुने ख़ामोशी नज़र बंजर के.
हम चलते फिरते लोग नजारों से कम आंको
तभी लोग घूमते पकड़ हाथ अंतर के.

बता रहे हैं उजाले मुझे [रेखा] मेरे दर के।
चमक रहे हैं सितारे हो  मुख्तसर के।।

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]