गीतिका/ग़ज़ल

ग़जल

हम याद तो आएंगे उनको भूले से कभी तनहाई में
क्या उनका भी हाल बुरा होगा रो रो के दर्दे जुदाई में।

क्या होता है उनसे पूछो यू तस्वीर चुरा कर रखने में
कोई उनसे जाकर ये कह दे हम मिलेंगे ना परछाई में।

ये प्यार नहीं तो फिर क्या है छुप-छुपकर मुझे ढूंढते हैं
खुद से खुद बातें करते हैं वह ख्वाबों की रानाई में।

वो भूल गया होगा शायद कोई कैद है उसकी धड़कन में
कहीं टूट न जाए दिल मेरा यूं उसकी बेपरवाही में ।

सात सुरों का संगम हो तो सुर हंसते हैं कभी रोते हैं
हर साज चोट से जिंदा है और दर्द भरी शहनाई है।

तू जाने ना पहचाने ना जानिब फिर भी मुझे मोहब्बत है
यह जीवन तुमको सौंप दिया मन से मन की सगाई में।

— पावनी जानिब, सीतापुर

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर