जलकौआ या जलकाक
यह एक जलीय पक्षी है ,जो बकगण { आर्डर सिकोनीफॉर्म्स } , कुल { फेमिली फ्लाक्रोकोरासिडी } की एक प्रसिद्ध पक्षी है ,जो सर्वत्र दुनिया भर में पाई जातीं हैं । यह काले रंग की ,लम्बी चोंच वाली ,टांगे छोटी और अंगुलियों के बीच में बत्तखों जैसे झिल्ली पाई जाती है । ये पानी में काफी गहराई और देर तक गोता लगाकर बड़ी कुशलतापूर्वक मछलियों को { कभी-कभी बहुत बड़ी मछलियों को भी } पकड़कर पानी की सतह से बाहर आकर आश्चर्यजनक रूप से काफी बड़ी ,इसकी गर्दन की मोटाई से भी मोटी मछलियों को डिसकवरी या एनीमल प्लैनेट चैनलों पर ,निगलते हुए देखा है । इसकी तीन जातियाँ पाई जातीं हैं दो तो एक दम मिलतीजुलती होतीं हैं केवल एक बड़ी और दूसरी उससे छोटी होती है , तीसरी जिसे पक्षी बानवर { Darter} कहते हैं ,उसकी चोंच थोड़ी अन्य प्रजातियों से भिन्न होती है ,शेष सभी बनावट एक ही होती है । ये 10 से 12 ईंच लम्बे ,नर मादा एक जैसे ही दिखने वाले पक्षी हैं । ये छोटे-बड़े जलाशय, कुंड या किसी भी जलश्रोत में शिकार करते या उसके किनारे किसी दरख्त की ऊँचे ठूंठ पर अपने पंख सुखाते अक्सर दिख जाते हैं । ये जुलाई में किसी सुरक्षित स्थान पर झुंड में नरमादा मिलकर घोसले बनाकर 4-5 अंडे इसकी मादा देती है । पिछले दिनों दिल्ली प्राणी उद्यान में एक तालाब के बीच में स्थित एक सुरक्षित कीकड़ के पेड़ों के झुँड में कई सौ पनकौवे पक्षियों को पेलिकन पक्षियों के झुँड के साथ सामूहिकरूप से मिलजुलकर बैठे हुए देखा था ।
-निर्मल कुमार शर्मा , ‘गौरैया संरक्षण ,पर्यावरण संरक्षण’, गाजियाबाद {उ.प्र. }