कविता – नमन
तिरंगे में लिपटे शवों को नमन
हमारा नमन तुम्हारा नमन।
चल दिए मुस्कुरा कर वतन के लिए
हो गए कुर्बान चमन के लिए
ऐसे रण बाँकुरों को
कण-कण का नमन।
हमारा नमन तुम्हारा नमन
तिरंगे में लिपटे शवों को नमन।
सोचा न समझ कुछ अपने लिए
जो कुछ भी सोचा जमीं के लिए
ऐसे परवानों को
जन-जन का नमन।
हमारा नमन तुम्हारा नमन
तिरंगे में लिपटे शवों को नमन।
कतरा कतरा था खूँ का वतन के लिए
जान हथेली पर लेकर के वो चल
दिए
ऐसे किस्मत वालों को
पल-पल का नमन
हमारा नमन तुम्हारा नमन
तिरंगे में लिपटे शवों को नमन।
हम तुम भी जिएं इस वतन के लिए
सरपरस्ती हो इस चमन के लिए
एेसे वीर जवानों को
तन-मन से नमन।
हमारा नमन तुम्हारा नमन
तिरंगे में लिपटे शवों को नमन।
— निशा नंदिनी भारतीय