गीत/नवगीत

गीत

कपटी आतंकी चुन-चुनकर, जग से उन्हें मिटायें ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, इनको पाठ पढायें।।

कठिन डगर है अमन चैन की, इतनी दहशत फैली
बातचीत करना क्यों उनसे, जिनकी चादर मैली ।।
त्याग नीति शांति की शत्रु को,सबक सिखाना होगा ।
घर में घुसकर मार शत्रु को, शीघ्र मिटाना होगा ।।

विकट आपदा देख देश मे, जल्दी कदम उठाएं ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, —- – – – – –

करें देश की रक्षा फौजी, दुश्मन से भिड़ जाते ।
दुष्कर जीवन जीते फौजी,बिल्कुल नही अघाते ।।
आतंकी के घृणित कृत्य से,धुन्ध बहुत ही छायी ।
इसपर भी कुछ करें सियासत,लाज न उनको आयी ।।

जात-पात को भूलभालकर, हृदय एकता लाये ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, – – – – – – – – –

जटिल समस्या आन पड़ी है,किन्तु धैर्य हम धारें ।
बढ़े होंसला सभी जनों का, उचित उपाय विचारें ।।
घर के भेदी सूना करते, आँचल खुद ही माँ का ।
इन जयचन्दों की पनाह में, कहाँ छिपे है आका ।।

वक्त बदलते संकट में हम, अपना दर्द छुपाए ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, – – – – — – –

– लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

जयपुर में 19 -11-1945 जन्म, एम् कॉम, DCWA, कंपनी सचिव (inter) तक शिक्षा अग्रगामी (मासिक),का सह-सम्पादक (1975 से 1978), निराला समाज (त्रैमासिक) 1978 से 1990 तक बाबूजी का भारत मित्र, नव्या, अखंड भारत(त्रैमासिक), साहित्य रागिनी, राजस्थान पत्रिका (दैनिक) आदि पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, ओपन बुक्स ऑन लाइन, कविता लोक, आदि वेब मंचों द्वारा सामानित साहत्य - दोहे, कुण्डलिया छंद, गीत, कविताए, कहानिया और लघु कथाओं का अनवरत लेखन email- [email protected] पता - कृष्णा साकेत, 165, गंगोत्री नगर, गोपालपूरा, टोंक रोड, जयपुर -302018 (राजस्थान)