गीत
कपटी आतंकी चुन-चुनकर, जग से उन्हें मिटायें ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, इनको पाठ पढायें।।
कठिन डगर है अमन चैन की, इतनी दहशत फैली
बातचीत करना क्यों उनसे, जिनकी चादर मैली ।।
त्याग नीति शांति की शत्रु को,सबक सिखाना होगा ।
घर में घुसकर मार शत्रु को, शीघ्र मिटाना होगा ।।
विकट आपदा देख देश मे, जल्दी कदम उठाएं ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, —- – – – – –
करें देश की रक्षा फौजी, दुश्मन से भिड़ जाते ।
दुष्कर जीवन जीते फौजी,बिल्कुल नही अघाते ।।
आतंकी के घृणित कृत्य से,धुन्ध बहुत ही छायी ।
इसपर भी कुछ करें सियासत,लाज न उनको आयी ।।
जात-पात को भूलभालकर, हृदय एकता लाये ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, – – – – – – – – –
जटिल समस्या आन पड़ी है,किन्तु धैर्य हम धारें ।
बढ़े होंसला सभी जनों का, उचित उपाय विचारें ।।
घर के भेदी सूना करते, आँचल खुद ही माँ का ।
इन जयचन्दों की पनाह में, कहाँ छिपे है आका ।।
वक्त बदलते संकट में हम, अपना दर्द छुपाए ।
शीघ्र बजाकर बिगुल युद्ध का, – – – – — – –
– लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला