विजय पथ
नभ के मस्तानों की टोली लगी उड़ाने भरने |
पुलवामा के जांबाज़ों के गम को हल्का करने |
थाम तिरंगा हाथों में हौले से बम बरसाया
ध्वस्त ठिकाने करके आये मन की पीड़ा हरने |
पी ओ के को लांघ चले साँपो के बिल को रौंदा |
जैशे मोहम्मद घबराया जब धधका आज घरौंदा |
आतंकी हरकतें छोड़ ऐ पाक होश में आजा –
ओ इमरान दांत खट्टे करदेगा एक करौंदा |
बहुत मोहलते दी भारत ने पर तू बाज न आया |
बेगुनाह का खून बहाना सदा तुझे है भाया |
सत्य अहिंसा के पोषक हम पर लाचार नहीं है-
तेरे आतंकी खेमे को हमने आज जलाया |
ओ सेना के सेना नायक शत शत नमन तुम्हे है |
वायु यान मिराज उड़ा जब शत शत गर्व हमें है |
पुलवामा के छल का बदला तुमने आज लिया जब –
जन जन में है हर्ष अनोखा शत शत दीप जलें हैं |
तेरी करतूतों की गठरी बहुत हो गयी भारी |
तेरे अपराधों से देखो सारी दुनिया हारी |
सौ गलती को क्षमा किया अब शेष रहा न बाकी –
सबक सिखाने निकल पड़े हम लेकर नई कटारी |
अब भी गर तू बाज न आया धधक उठेगी ज्वाला|
पानी से न बुझा पाओगे रक्त पियेगी ज्वाला |
नक्शे में फिर नहीं दिखेगा पाकिस्तान तुम्हारा –
भारत का परचम ऊँचा हो लहर-लहर लहराया |
विश्व गुरु भारत जग में मानवता को फैलाये
हो प्रशस्त भारत का हर पथ विजय ध्वजा लहराये |
भय आतंक मिटे धरती से आसमान मुस्काये-
और विजय पथ भारत का फिर नई सुबह ले आये |
— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”
लखनऊ ,उत्तर प्रदेश