सोंचता हूँ ! मेरे होने का अर्थ
सोंचता हूँ ! मेरे होने का अर्थ
और जीने का मर्म है क्या भला !
ज़िंदगी की खलिशें, दर्द की गठरियाँ,
हँसते ज़ख़्म और संघर्षों का क़िला !!
हर तरफ़ शोर, बेख़बर मौत की ख़ामोशी,
जागती नीदें और टूटते ख़्वाबों का क़ाफ़िला !!
सोंचता हूँ ! मेरे होने का अर्थ
और जीने का मर्म है ……………