महिला दिवस पर विशेष कविता – बेटियां
अंदर से मुलायम ऊपर से सख्त होती है बेटियां,
हर सुख-दुख कहकर सबको खुशियां देती है बेटियां।
उसके रहने से घर में रौनक रहती है,
अगर ना हो तो हर खुशियां सुनी होती है।
सबको खिला कर खुद खाना खाती है बेटियां,
सभी के मान-सम्मान का ध्यान रखती है बेटियां।
मायके ससुराल का मान रखती है बेटियां,
फिर भी उसके मान का ध्यान क्यों नहीं रखते हैं लोग,
सब के सुख के लिए खुद को मिटाती है बेटियां,
फिर क्यों उसे कोख में ही मार देते हैं लोग,
पूरे घर का बोझ उठाते हैं बेटियां,
बेटों से बढ़कर होती है बेटियां।
दुखों के पहाड़ पर शीतलता बरसाती हैं बेटियां,
ना हो बेटियां तो हर त्यौहार है फीके,
हर घर की शान होती है बेटियां।
— गरिमा