माना कि वक्त हमारा नहीं है
माना कि वक्त हमारा नहीं है।
पर थमना भी तो गंवारा नहीं है।।
मंज़िल एक रोज़ मिलेगी रख सबर।
किस्मत का अभी इशारा नहीं है।।
हिम्मत कर तैरता चल, न रुकना तू।
लगता है पास किनारा नहीं है।।
उस पल भी उम्मीदों की लौ जला।
जब तिनके का भी सहारा नहीं है।।
रंजिशें इतनी क्यों आईं दरमियाँ।
जाते जाते भी पुकारा नहीं है।।
शतरंज की चालों से लो कुछ सबक।
अपनों को कभी भी मारा नहीं है।।
जो लम्हा रूठा छूटा हाथ से।
आता वो ‘लहर’ दोबारा नहीं है।।