कुण्डली/छंद

छंद सृजन होली विशेष

ग्वाल बाल नंदलाल, ताल से मिला के ताल

करते धमाल हैं गुलाल और रंग में

छोरिया अहिर की पे ढंग से चढ्यो से हो रंग

अंग अंग झूम उठो ताल औ मृदंग में

घोल घोल ग्वाल भंग दंग गोपी कान्हा संग

पी गये है झट सारे होरी की उमंग में

वृषभानु की किशोरी करती है बरजोरी

नटखट नंदलाला मोहन के संग में

 

राधा जी का श्याम रंग से रंग है अंग अंग

चढ़े नहीं दूजा रंग और घनश्याम के

प्रीत भरी पिचकारी गोपियाँ जो मारती है

सौतन जला रही है रंग रूप काम के

राधा बिन श्याम नहीं श्याम बिन राधा नहीं

दोनों बिन है अनाथ वासी बृजलाल के

लौट आओ रे कन्हाई राधा दे रही दुहाई

रोम रोम घोलो रंग श्याम निज नाम के

 

चोरी से छबीली छोरी ,गोरे गाल वाली गोरी ,

हंस के कन्हैया को यूं ,रंग है लगा रही ।

फाग का जमा है रंग ,मन में उठीे उमंग ,

रंग की तरंग में यूं ,भंग है लगा रही ।

घुंघरू की ताल पे उछालके गुलाल को यूं ,

वो अबीर मलने का ढंग है लगा रही।

पिचकारी प्रेम की है नैन की कटारी ले के ,

रंग जंग ढंग अंग अंग है लगा रही ।

 

भानु शर्मा रंज

भानु शर्मा रंज

कवि और गीतकार धौलपुर राजस्थान M-7976900735, 7374060400