गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

पढ़ो लिखो,खुद आगे आओ तभी सही है।
जीवन को खुशहाल बनाओ तभी सही है।।

तेरे हिस्से की रोटी कोई न देगा।
अपने हाथों तुम्हीं उठाओ तभी सही है।।

जीवन में खुशियों के दीपक तभी जलेंगे।
शिक्षा का उजियारा लाओ तभी सही है।।

नेताओं के चंगुल में क्यों फंसे हुए हो।
अपनी किस्मत खुदी बनाओ तभी सही है।।

रफ्ता-रफ्ता चमकेंगी जीवन की गलियां।
दीपक जैसे खुद जल जाओ तभी सही है।।

सभी सियासत की रोटी सकेंगे आकर।
खुद का तावा खुदी बचाओ तभी सही है।।

किस्मत की जंजीरों में क्यों जकड़े हो तुम।
बन्ध तोड़कर बाहर आओ तभी सही है। ।

लाल चन्द्र यादव

लाल चन्द्र यादव

ग्राम शाहपुर, पोस्ट मठिया, जि. अम्बेडकर नगर उ.प्र. 224149 शिक्षा एम.ए. हिन्दी, बी.एड. व्यवसाय शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद, जिला-बरेली