मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।
मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।
यहाँ तो सबकुछ ठीक है, बच्चे भी दोनो अच्छे है।
अम्मा भी तुम्हारी अच्छी हैं, माँ बाप भी मेरे अच्छे हैं।।
लिखूँ क्या मैं अपने बारे में, तू ही नहीं जब पास है।
पता है तुम ना आओगी फिरभी आने की आस है।।
मैं भी चलता साथ तेरे तो बच्चों का फिर होता कौन?
यूँ तो रोये थे सारे ही पागल जैसा रोता कौन ?
खुश रखूँगा मैं बच्चो को, कसम ये मैंने खाई है।
बचा नहीं है कुछ भी मेरा सांस भी आज पराई है।।
अब तो आँखों में आने बन्द हुये हैं सपने भी।
जाते हैं अब मुझे छोड़कर इक इक करके अपने भी।।
आकर मिलूँगा मैं तुमसे बस थोड़ा सा फ़र्ज निभा लूँ।
माँ बाप की थोड़ी सेवा कर लूँ, बच्चो का भी कर्ज निभा दूँ।।
दिल है व्याकुल अब मिलने को, साथ नहीं जज़्बात कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।
मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।
…….सौरभ दीक्षित मानस