कविता

मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।

मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।
यहाँ तो सबकुछ ठीक है, बच्चे भी दोनो अच्छे है।
अम्मा भी तुम्हारी अच्छी हैं, माँ बाप भी मेरे अच्छे हैं।।

लिखूँ क्या मैं अपने बारे में, तू ही नहीं जब पास है।
पता है तुम ना आओगी फिरभी आने की आस है।।
मैं भी चलता साथ तेरे तो बच्चों का फिर होता कौन?
यूँ तो रोये थे सारे ही पागल जैसा रोता कौन ?

खुश रखूँगा मैं बच्चो को, कसम ये मैंने खाई है।
बचा नहीं है कुछ भी मेरा सांस भी आज पराई है।।
अब तो आँखों में आने बन्द हुये हैं सपने भी।
जाते हैं अब मुझे छोड़कर इक इक करके अपने भी।।

आकर मिलूँगा मैं तुमसे बस थोड़ा सा फ़र्ज निभा लूँ।
माँ बाप की थोड़ी सेवा कर लूँ, बच्चो का भी कर्ज निभा दूँ।।
दिल है व्याकुल अब मिलने को, साथ नहीं जज़्बात कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।

मेरा ख़त पहुँचा दो तुम, जहाँ न जाती डाक कोई।
लिखा है इसमें हाल ए दिल, और नहीं है बात कोई।।
…….सौरभ दीक्षित मानस

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,