कितनी दफ़ा दिल को तोड़ोगे मेरे,
कितनी दफ़ा दिल को तोड़ोगे मेरे,
अब जानेमन कुछ तरस खा भी जाओ।
कबतक चलेंगें यूँ तन्हां अकेले,
तुम साथ मेरे कभी आ भी जाओ।।
कैसे भुलायें वो रातें थी प्यारी,
बैठे रहे थे करी बातें सारी।
मुद्दत से लब ये हँसे भी नहीं हैं
फिर गीत कोई सनम गा भी जाओ।।
मिलते रहेंगें तुम्हें लाखों साये,
बैठे रहेंगें हम पलकें बिछाये।
सूखा पड़ा है मुहब्बत में मेरी
बदली की तरह कभी छा भी जाओ।।
जलने लगा था ये सारा ज़माना,
लगने लगा साथ सदियों पुराना।
फिर से मिले प्यार हमको तुम्हारा
कुछ प्यार हमसे सनम पा भी जाओ।।
कितनी दफ़ा दिल को तोड़ोगे मेरे,
अब जानेमन कुछ तरस खा भी जाओ।