प्राकृतिक वरदान
सरस निर्मल ह्दय
बिखेरती मुस्कान
मानो चमकती दूध सी
चांदनी रात,
कूक नींद तोड़ती
मंद हवा संग
शुभ प्रभात,
पुष्प सा हो उठती
भवंरो सा गुनगान
नभ में रंग बिखरेती
नन्ही सी पंछी समान
हदय कितना खुश होता
देख प्राकृतिक वरदान
बैठकर टीवी पर देखे
ऐसा नजारा
एंकर बोलता
सुन दर्शक
ऐसा होता कभी़
धरती हमारा
— अभिषेक राज शर्मा